Raksha bandhan 2024:- "रक्षाबंधन" शब्द जिसमे शब्द का पहला भाग जो की रक्षा है और दूसरा शब्द बंधन है जो यह स्पष्ट करता है की किसी को अपनी रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधकर लिया जाने वाला संकल्प. अर्थात एक स्त्री द्वारा पुरुष को पवित्र रक्षा सूत्र बांधकर पुरुष से अपने रक्षा का वचन लेना.यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. वैसे इस पावन त्यौहार को मानने के पीछे अनेक पौराणिक एवं धार्मिक विश्वास को भी प्रमुख माना जाता है. भारत में इस पावन पर्व को भाई बहन के आपसी प्रेम, विश्वास और बलिदान का पर्व माना जाता है.
रक्षाबंधन भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का पर्व |
क्या है रक्षाबंधन मानने का प्रयोजन:- भारत में हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की एक समय भगवान श्रीकृष्ण की किसी कारणवश अंगुली चोटिल हो जाने के कारण रक्त तेजी से बहने लगा, पास में ही खड़ी द्रौपदी ने श्रीकृष्ण के ऊँगली से बहते खून को रोकने के लिए तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू का हिस्सा फाड़कर ऊँगली में बांध दिया. कहते है भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी का अपने प्रति इस निश्छल भाव देखकर उन्होंने द्रौपदी को मन ही मन अपनी बहन मान लिया.
भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधती द्रौपदी |
माना जाता है कि चीर हरण के समय किसी से सहायता ना मिलने पर जब भगवान श्रीकृष्ण को मदद के लिए पुकारा तब भगवान ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी की सहायता की थी. मान्यता है की इस पौराणिक घटना के बाद ही इस पावन रक्षाबंधन के पर्व को मानने की परम्परा पड़ी जिसमे भाई बहन के आपसी प्रेम और विश्वास की झलक देखने की मिलती है.
द्रौपदी की चीर बढ़ाते हुए प्रभु श्रीकृष्ण |
क्यों है रक्षाबंधन के पर्व का महत्व:- इस पर्व का अपने आप में बहुत ही महत्व माना गया है. क्योंकि इस पर्व के पीछे बड़ा ही पवित्र उद्देश्य छिपा हुआ है. इस दिन एक बहन अपने भाई की कलाई पर इस विश्वास को धारण करके रक्षा सूत्र बांधती है कि उसका भाई उसकी हर हाल में रक्षा करेगा और उसके मान- सम्मान पर आँच नहीं आने देगा, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के मान की रक्षा के लिए चीर बढ़ाया था.
क्या पत्नी भी अपने पति को राखी बांध सकती है:- दरअसल इस पर्व को भाई बहन के त्यौहार के रूप में ही पूरे भारत में मनाया जाता है.इसलिए सिर्फ ये पर्व भाई- बहन तक ही सीमित माना जाता है. किन्तु इसका बड़े व्यापक अर्थ में लिया गया है.
रक्षा कौन बांध सकता है?
रक्षा सूत्र एक प्रतीक मात्र है एक स्त्री की रक्षा का पुरुष के द्वारा, इसलिए एक पत्नी अपने पति को और पति अपने पत्नी को भी रक्षा सूत्र बांधकर एक दूसरे की रक्षा का संकल्प लें सकते है.
रक्षाबंधन पर है इस बार भद्रा का साया:- हिन्दू परम्परा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी शुभ कार्य को भद्रा काल में नहीं करना चाहिए, ऐसा करना अनिष्टकारी माना जाता है. इस बार 19 अगस्त 2024 को उदयक़ाल से लेकर दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक भद्राकाल है. इसलिए विद्वानों का मत है की 1:30 बजे के बाद ही रक्षा सूत्र बंधन का आयोजन शुभकारी रहेगा.
Disclemar:- ये सारी जानकारी प्राप्त सूचनाओ के आधार पर है. किसी भी तथ्य की पूरी जानकारी जानकारों से करने के बाद ही अमल करें.
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