Monday, 22 July 2024

क्यों मनाया जाता है तीज का त्यौहार (क्या है इसका इतिहास)

भगवान भोलेनाथ को समर्पित श्रावण मास में हरियाली तीज की अपनी एक अलग महत्ता है. शिवमहापुराण में इस त्यौहार के विषय में माता पार्वती विवाह के रूप में पढ़ने को मिलता है.

ये हरियाली तीज व्रत वैसे तो विवाहित स्त्रियों के लिए होता है जो इस व्रत को करके अपने जीवन साथी और परिवार की सुख एवं समृद्धि की माता पार्वती से प्रार्थना करती है.
ये व्रत विशेष रूप से माता गौरी की पूजा अर्चना का व्रत बताया गया है.         

तीज की पूजा क्यों की जाती है?:- शिवमहापुराण में कथा है की जब माता सती, अपने पिता दक्ष द्वारा यज्ञ में भोलेनाथ को निमंत्रण नहीं दिया जाता है तो वह बिना बुलाये यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण दें देती है. किन्तु जब माता सती के विरह में भोलेनाथ समाधि में चले जाते है तो दुबारा उनका जन्म हिमालय के यहाँ होता है. नारद मुनि जब हिमालय को यह बताते है कि पार्वती का विवाह शिव शंकर से होगा तो वे बड़े दुखी होते है पर बाद में मान जाते है. नारद जी कहते है कि इसके लिए पार्वती को तपस्या करके भोलेनाथ को समाधि से जगाना पड़ेगा. माता उनकी बात मान घोर तप करके भोलेनाथ को मना लेती है. और फिर उनका विवाह सम्पन्न हो जाता है. इसी उपलक्ष्य में यह त्यौहार सुहागिन अपने पति के साथ पाने और सदा सुहागन होने कि कामना हेतु मनाया करती है.      

सावन में तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?:- तीज का कल्याणकारी व्रत सुहागिनो के लिए उत्तम फलकारी होने के साथ ये व्रत कुंवारी लड़कियों के लिए भी विशेष वर प्राप्त करने वाला कहा गया है. जहाँ सुहागिन इस व्रत को करके अपने पति का प्रेम और उसका सच्चा साथ मिलने का माता गौरी से वरदान और आशीर्वाद मांगती है वहीं कुंवारी लड़कियां इस व्रत को विधि पूर्वक करके माता पार्वती से अपने लिए योग्य और सच्चा जीवन साथी मिलने का वरदान मांगती है. कहते है सच्चे मन से श्रद्धा पूर्वक पूजन आराधना करने पर माता गौरी अपने भक्तों की मनोकामना अवश्य ही पूरी करती है.

हरियाली तीज कब मनाई जाती है?:- यह त्यौहार श्रावण मास के शुक्ला पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 7 अगस्त 2024 दिन बुधवार को मनाया जायेगा.

तीज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है:- यह त्यौहार माता पार्वती से आशीर्वाद और वरदान पाने का पर्व है. इस दिन स्त्रियां और लड़कियां व्रत और उपवास रहती है. वैसे बड़ा ही कठिन व्रत माना जाता है क्योंकि -

1:-इस दिन व्रत करने पर जल या पानी नहीं ग्रहण किया जाता है. निर्जला व्रत का विधान है. 2:- सुहागिन स्नान के पश्चात 16 श्रृंगार करके, हाथों में मेहदी लगाकर और हरी साड़ी और हरी चूड़ियाँ धारण करती है. 3:- शाम को शिवालय में जाकर भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि पूर्वक 16 प्रकार की सामग्रीयों (हल्दी, अक्षत, कुमकुम, मेहदी, पान आदि ) को अर्पित किया जाता है. 

4:- इस पूजन के बाद पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है. महिलाये पूजन के साथ-साथ गीत गायन भी करती है. 5:- माता पार्वती को घी की आरती करके उनसे अपनी मानोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगती है.  



 6:- इस व्रत में शाम को कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है. 7:- अगले दिन स्नान ध्यान करने के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है. 8:- आज के दिन लड़कियाँ और सुहागिन झूला झूलकर खुशियाँ मानाती है.







डिस्कलेमर:- यह लेख एक सूचना मात्र है, विधिवत विधि विधान के लिए किसी विद्वान से सलाह लेने के बाद ही व्रत उपवास के नियमों का पालन करें.

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